सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization),
सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization),
सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization), जिसे हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है, प्राचीन भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण और समृद्ध सभ्यता थी। यह सभ्यता लगभग 3300 ईसा पूर्व में विकसित हुई और 1900 ईसा पूर्व के आसपास समाप्त हो गई। इसका विस्तार वर्तमान पाकिस्तान, पश्चिमी भारत और अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में था।
🏛️ सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ
1. शहरी नियोजन और वास्तुकला
11.1. शहरी नियोजन और वास्तुकला शहरी नियोजन और 1. शहरी नियोजन और वास्तुकला
सिंधु घाटी के शहरों में उन्नत शहरी नियोजन देखा गया। यहाँ के शहरों में ग्रिड पैटर्न पर सड़कें, पक्की ईंटों से बने दो मंजिला मकान, अन्न भंडार, गोदाम, और सुरक्षात्मक दीवारें थीं। मोहनजोदड़ो में एक बड़ा स्नानागार भी पाया गया, जो जल निकासी और स्वच्छता के प्रति उनकी जागरूकता को दर्शाता है।
2. कृषि और अर्थव्यवस्था
यह सभ्यता कृषि प्रधान थी। यहाँ गेहूँ, जौ, रागी, मटर, खजूर और कपास की खेती की जाती थी। सिंधु घाटी सभ्यता कपास की खेती करने वाली पहली सभ्यता मानी जाती है। इसके अलावा, पशुपालन भी किया जाता था, जिसमें भेड़, बकरी और सूअर शामिल थे।
3. धातुकर्म और शिल्पकला
हड़प्पावासी तांबा, कांस्य, टिन, सीसा और सोने-चाँदी के धातु उत्पादों में कुशल थे। मिट्टी के बर्तन, मनके, आभूषण, और फेएन्स (मोतियों के बर्तन) भी बनाए जाते थे। लोथल जैसे स्थानों पर जहाज निर्माण और समुद्री व्यापार के प्रमाण मिले हैं।
4. धार्मिक विश्वास और सांस्कृतिक जीवन
सिंधु घाटी सभ्यता के लोग नर और मादा देवताओं की पूजा करते थे। मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक सील पर तीन मुख वाला एक पुरुष ध्यान की मुद्रा में बैठा हुआ है, जिसे पशुपति सील कहा जाता है। यह शिव की पूजा के प्रमाण के रूप में देखा जाता है। इसके अलावा, वृक्ष पूजा, नाग पूजा और महिषासुर मर्दिनी जैसे धार्मिक प्रतीकों के भी प्रमाण मिले हैं।
5. लेखन प्रणाली
सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि अभी तक पूरी तरह से समझी नहीं जा सकी है। यह लिपि मुख्य रूप से मुहरों, बर्तनों और अन्य वस्तुओं पर अंकित पाई जाती है। इस लिपि के संकेतों की संख्या लगभग 400 तक मानी जाती है, लेकिन इनका अर्थ अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है।
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📚 सिंधु घाटी सभ्यता पर हिंदी में संसाधन
यदि आप सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित संसाधन सहायक हो सकते हैं:
डॉ. नवल वियोगी की पुस्तक: "सिंधु घाटी सभ्यता के सृजनकर्ता शूद्र और वणिक"
यह पुस्तक सिंधु घाटी सभ्यता के इतिहास और इसके सृजन में शूद्र और वणिक वर्ग की भूमिका पर प्रकाश डालती है।
डॉ. भीमराव आंबेडकर की पुस्तक: "प्राचीन भारत में क्रांति और प्रतिक्रांति"
इस पुस्तक में प्राचीन भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक क्रांतियों पर चर्चा की गई है, जिसमें सिंधु घाटी सभ्यता का भी उल्लेख है।



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